अरहर और सनई के खेत कवि को कैसे दिखाई देते हैं?

अरहर और सनई में फलियां आने पर जब हवा चलती है तो हवा के उन फलियों से टकराने के कारण उन फलियों से हल्की-हल्की आवाज आती है। यह आवाज करधनी नामक आभूषण से आने वाली आवाज के समान होती है तब ऐसा प्रतीत होता है जैसे धरती ने अपनी कमर पर करधनी(कमर पर पहना जानेवाला आभूषण) बांध रखी है तथा उस करधनी में लगे घुंघरुओं से यह आवाज रही है साथ ही सनई और अरहर की फलियां उसे धरती की कमर में बंधी किंकिणियों जैसी लगती हैं।


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